यूँ तो साथ देने को हजारो हाथ और है,
तुम जो साथ में रहो तुम्हारी बात और है,
चंद आंसू क्या गिरे के जिंदगी भिगो गए,
दिल की धुल क्या उडी की रास्ते ही खो गए,
जैसे चाँद को सदा नेहार्ता चकोर है,
तुम जो साथ में रहो तुम्हारी बात और है,
शाख पर तो फूल बहुत एक भी खिला नहीं,
मुझको मेरे इस नसीब पर कोई गीला नहीं,
स्वप्न मुझ को आते न हो ऐसा सिलसिला नहीं,
स्वप्न में तो सब मिले किन्तु वोह मिला नहीं,
मेरे मन के शांति में चारो ओर शोर है,
तुम जो साथ में रहो तुम्हारी बात और है,
प्यार अगर उधार है तो कौन पूरा कर सका,
मूल की तो बात चोदो ब्याज भी न भर सका,
यूँ तो साथ देने को हजारो हाथ और है,
तुम जो साथ में रहो तुम्हारी बात और है,
No comments:
Post a Comment