Tuesday, July 21, 2009

Munna bhai and Circuit ….. Narak Me

Munna bhai and Circuit ….. Narak Me

 

मुन्नाभाई और सर्किट नरक में पहुंचे। वहां यमदूत ने उनका स्वागत किया और नरक की सैर कराई। यमदूत ने बताया कि यहां तीन तरह के नरक-कक्ष है और उसे अपनी पसन्द का कक्ष चुनने की आजादी है।

पहला कक्ष आग की लपटों और गर्म हवाओं से इस कदर भरा हुआ था कि वहां सांस लेना भी दूभर था। मुन्नाभाई ने कहाः ओए सर्किट! यहां रहकर तो अपुन की हालत खराब हो जाएगी... चल कोई दूसरा रूम देखते हैं...

यमदूत उन्हें दूसरे नरक कक्ष में ले गया। यह कक्ष सैंकड़ों आदमियों से भरा हुआ था। वहां बेहद गर्मी थी और धुआं फैला हुआ था। चारों ओर चीखपुकार का माहौल था। मुन्नाभाई और सर्किट यह सब देखकर घबरा गए और उन्होंने यमदूत से कोई और कक्ष दिखाने की प्रार्थना की।

तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे। यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात नहीं दिखी। मुन्नाभाई ने कहाः अबे सर्किट! यह रूम अपुन के हाथ से नहीं निकलना चाहिए... इस यमदूत को पटा, फटाफट इसी रूम का नंबर लगा लेते हैं!!

यमदूत ने दोनों उसी कक्ष में छोड़ा और चला गया। मुन्नाभाई और सर्किट ने एक-एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गए।

कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजीः ब्रेक टाइम खत्म हुआ। अब फिर से दस हजार घूंसे खाने के लिये तैयार हो जाओ!

 

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