वक़्त नही !
वक़्त नही !
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में ,
पर एक हँसी के लिए वक़्त नही .
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िंदगी के लिए ही वक़्त नही .
मा की लोरी का एहसास तो है ,
पर मा को मा कहने का वक़्त नही .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही .
सारे नाम मोबाइल में हैं,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नही .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनो के लिए ही वक़्त नही .
आँखों मे है नींद बड़ी ,
पर सोने का वक़्त नही .
दिल है गमो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही.
पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े ,
की थकने का भी वक़्त नही .
पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही .
तू ही बता ए ज़िंदगी,
इस ज़िंदगी का क्या होगा ,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक़्त नही .......
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